उष्ण मानसूनी प्रदेश  (Tropical Monsoon Region)

उष्ण मानसूनी प्रदेश  (Tropical Monsoon Region)

1. स्थिति एवं विसरार

मानसूनी प्रदेश की स्थिति भूमध्य रेखा के दोनों ओर 5 deg से 30 deg अक्षांशों के मध्य पायी जाती है। ये प्रदेश व्यापारिक हवाओं की पेटी में आते हैं। इनमें यो स्पष्ट ऋतुएँ होती है-शीत ऋतु और ग्रीष्म त्रऋतु। अधिक परिवर्तन के साथ हवाओं की दिशा बदल जाती है। मौसमी परिवर्तन वाले इन प्रदेशों को मानसूनी प्रदेश कहते हैं। मानसूनी प्रदेश के अंतर्गत एशिया में पाकिस्तान, भारत, बांग्लादेश, म्यांमार, थाईलैण्ड, कम्बोडिया, लाओस, वियतनाम, पूर्वी द्वीप समूह, दक्षिणी चीन एवं ताइवान, अफ्रीका का पूर्वी तटीय भाग, उसरी अमेरिका में फ्लोरिडा, मैक्सिको एवं पडिमी द्वीप समूह, मध्य अमेरिका का पश्चिमी तट और आस्ट्रेलिया का उत्तरी तटीय भाग सम्मिलित है।

2. प्राकृतिक दशाएँ

उच्था मानसूनी प्रदेशों में शीत ऋतु साधारण ठण्डी तथा शुष्क और ग्रीष्म ऋतु का पूर्वार्द्ध उष्ण शुष्क तथा उत्तरार्द्ध उष्ण तर होता है। यहाँ श्रीष्म ऋतु का तापमान सामान्यतः 27 deg से 40 deg सेल्सियस और शीत ऋतु का तापमान 15 deg से 25 deg सेल्सियस तक रहता है। वार्षिक तापांतर 20 deg से 30 deg सेल्सियस के बीच रखता है। वे प्रदेश सन्मार्गी व्यापारिक पवनों की पेटी में आते हैं जिसमें शीत ऋतु प्रायः शुष्क रहती है। इन प्रदेशों में वर्षा प्रायः प्रीष्म ऋतु के उत्तरार्द्ध में होती है। अधिकांश वर्षा (85 प्रतिशत से अधिक) ग्रीष्म ऋतु में होती है अतः इसे वर्षा ऋतु के रूप में जाना जाता है। मानसूनी प्रदेशों में वर्षा चक्रवातीय हवाओं द्वारा होती है। हवाओं के सम्मुख वाले पर्वतीय बालों पर 250 से 500 सेमी. तक वर्षा हो जाती है किन्तु वन विमुख भागों में वर्षा का औसत 100 से 150 सेमी. ही पाया जाता है।

मानसूनी प्रदेशों में उच्च तापमान तथा पर्याप्त वर्षों के कारण विविध प्रकार की वनस्पतियों का विकास ता है। 200 सेमी. से अधिक वर्षा वाले भागों में सदाबहार वन मिलते हैं किन्तु ये वन भूमध्यरेखीय वर्षा नों की भाति अधिक सघन नहीं होते हैं। इन वनों में शीशम, साल, सागौन, महोगनी, रबड़, बांस, बेंत दिउगते हैं। 100 से 200 सेमी. वर्षा वाले भागों में चौड़ी पत्ती वाले पर्णपाती वन मिलते हैं जिनमें एल, सागौन, शीशम, जामुन, महुआ, आम, सेमल, नीम आदि वृक्ष पाये जाते हैं। 100 सेमी, से कम वाले क्षेत्रों में घासों के साथ पर्णपाती वृक्ष तथा बबूल, बेर, कीकर, नीम, महुआ आदि के वृक्ष उगते हैं।

मानसूनी वनों में हाथी, गैण्डा, शेर, चीता, हिरन, नील गाय, बन्दर, भेड़िया आदि बड़े पशु मिलते हैं। मैदानी भागों में पालतू पशु मिलते हैं जिनमें गाय, भैंस, घोड़ा, ऊँट, बकरी, भेड़, सुअर आदि प्रमुख है। विश्व में सर्वाधिक चौपाये मानसूनी प्रदेशों में ही पाये जाते हैं।

3. मानव प्रतिक्रिया

मानसूनी प्रदेश के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि तथा पशुपालन है। जलोढ़ मैदानों तथा अन्य उपजाऊ भागों में वर्षों की मात्रा के अनुसार चावल, गन्ना, गेहूँ, मक्का, दालें, तिलहन, जूट, चाय, कपास, तम्बाकू आदि की फसलें उगायी जाती हैं। चाय कहवा, तम्बाकू, गना, मूँगफली, गरम मसाले आदि इन प्रदेशों की नकदी कृषि उपजें हैं। फल वाले वृक्षों में आम, लीची, केला, पपीता, अमरुद, कटहल, सेब, अंगूर, नींबू आदि प्रमुख हैं। विश्व का लगभग 95 प्रतिशत जूट, 70 प्रतिशत चावल और 75 प्रतिशत गत्रा मानसूनी प्रदेशों से ही प्राप्त होता है। शुष्क ऋतु और वर्षा की अनिश्चितता के कारण सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है। इन प्रदेशों में जनसंख्या की अधिकता और प्रति व्यक्ति भूमि की सीमितता के कारण सामान्यतः निर्वाह मूलक कृषि की जाती है। कृषक फसलों के उत्पादन के साथ ही दूध, मांस, सवारी आदि

के लिए अनेक प्रकार के पशु भी पालते हैं जिनमें गाय-बैल, भैंस, भेड़, बकरी, ऊँट, घोटा, खच्चर, गधा, सुअर, मुर्गियाँ आदि प्रमुख हैं।

मानसूनी प्रदेशों में विविध प्रकार के खनिज पदार्थ निकाले जाते हैं जिनमें औद्योगिक खनिज जैसे लोहा, मैंगनीज, बाक्साइट, ताँबा, टिन अभ्रक आदि प्रमुख हैं। शक्ति संसाधन (कोयला, पेट्रोलियम,

आदि विभिन्न प्रकार के निर्मित सामानों का आयात करते हैं। मानसूनी प्रदेशों में जनसंख्या का संकेन्द्रण अधिक है। मानसूनी प्रदेशों में उपजाऊ भूमि तथा उपयुक्त जलबायु के कारण कृषि उपजों से जीवन की आवश्यक आवश्यकताओं की पूर्ति हो जाती है। मानसूनी जलवायु के कारण वर्ष में कम से कम दो फसलों के उत्पादन की सुविधा से यहाँ कृषि कार्य अपेक्षाकृत् अधिक सुगम है। इन प्रदेशों में कृषि पर आधारित अनेक कुटीर उद्योग भी परम्परागत रूप से विकसित हैं। इस प्रकार इन प्रदेशों में अपेक्षाकृत् अधिक जनसंख्या के भरण-पोषण की क्षमता विद्यमान है। भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, दक्षिणी चीन आदि सघन जनसंख्या वाले भूभाग हैं और यहाँ की 60 से 80 प्रतिशत जनसंख्या कृषि कार्यों में संलग्न है और गाँवों में रहती है। इन देशों में अनेक उद्योग भी विकसित हैं और बड़े-बड़े नगर और बन्दरगाह स्थित हैं। एशिया में मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई, दिल्ली, बंगलौर, अहमदाबाद, नागपुर, यांगून (रंगून), कोलंबो, कराची, बैंकाक, सैगाँव, हांगकांग, हनोई, नानकिंग आदि; दक्षिणी अमेरिका में रियोडीजेनेरो, सेण्टास, रेसिफ, काराकस, सेल्वाडोर आदि, आस्ट्रेलिया में डार्विन, टाउन्सविले एवं

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