भूमध्य रेखीय प्रदेश (Equatorial Region)

भूमध्य रेखीय प्रदेश (Equatorial Region)

1. स्थिति एवं विस्तार

भूमध्यरेखीय या विषुवत् रेखीय प्रदेश भूमध्य रेखा के दोनों ओर 5° उत्तरी और 5° दक्षिणी अक्षांश के मध्य स्थित है। कहीं-कहीं इस प्रदेश का विस्तार 10° उत्तरी और 10° दक्षिणी अक्षांश तक भी पानी कोता है। इसके अंतर्गत दक्षिणी अमेरिका में अमेजन एवं ओरीनीको घाटी, मध्य अमेरिका, अफ्रीका ने कांगो बेसिन, गिनी की खाड़ी का तटीय भाग और एशिया का दक्षिणी-पूर्वी भाग (मलाया, इण्डोनेशिया फिलीपीन्स आदि) सम्मिलित हैं। भूमध्य रेखीय प्रदेश का सर्वाधिक विस्तार अमेजन बेसिन में है, अतः इनो अमेजन तुल्य प्रदेश के नाम से भी जान

2. प्राकृतिक दशाएँ

भूमध्य रेखा के निकट स्थित होने के कारण यहाँ वर्ष पर्यंत सूर्य की किरणे लम्बवत् पड़ती हैं और उच्च तापमान पाया जाता है। औसत तापमान 27° सेल्सियस रहता है किन्तु वार्षिक तापांतर सामान्यतः 3° सेल्सियस से कम पाया जाता है। यहाँ सदैव ग्रीष्म ऋतु रहती है और शीत ऋतु का अभाव पाया जाता है। दिन और रात की लम्बाई में बहुत थोड़ा अंतर पाया जाता है। दैनिक तापांतर भी 5 से 10 के मध्य रहता है। इस पेटी में हवाओं के अभिसरण के कारण वायुदाब उच्च रहता है और हवाएं शांत रहती हैं अथवा अत्यंत मन्द गति से पश्चिम से पूर्व की ओर चलती हैं।

प्रतिदिन दोपहर के पश्चात् सामान्यतः अपरान्ह तीन-चार बजे मेघ गर्जन तथा बिजली की चमक के साथ भारी वर्षा होती है। यह संवाहनिक वर्षा कहलाती है जो प्रायः प्रतिदिन नियत समय पर होती है। इन प्रदेशों में औसत वार्षिक वर्षा 200 से अधिक होती है किन्तु कहीं-कहीं 300 से 500 सेमी. तक भी वर्षा हो जाती है।

उष्णाई जलवायु के कारण भूमध्य रेखीय प्रदेशों में चौड़ी पत्ती वाले सदापणी (सदाबहार) वन विकसित होते हैं जिन्हें सेल्वा (Selvas) के नाम से जाना जाता है। वृक्ष अधिक घने और लम्बे होते हैं जिनके शीर्ष छतरीनुमा होते हैं जिसके कारण सूर्य प्रकाश सामान्यतः भूमि तक नहीं पहुँच पाता है। भूमध्य रेखीय बनों को वर्षा वन (rain forest) कहते हैं। इनकी लकड़ी अत्यंत कठोर और मजबूत होती है।

भूमध्य रेखीय वनों में अनेक प्रकार के जीव-जन्तु पाये जाते हैं। वृधी पर रहने वाले जीबी में बंदर चीटियां, बमगादड, तितलियाँ, पक्षियों, छिपकली गिरगिट आदि प्रमुख है। भूमि पर रेंगने वाले लोगों में सांप, अजगर आदि मुख्य हैं। भूमि पर रहने वाले बड़े जानवरों में गैंडा, हाथी, जंगली सुअर, शेर, बीत, उदबिलाव आदि प्रमुख हैं। दलदली भागों तथा जलाशयों में कीड़े-मकोड़े मेडकर मविस वरिपाई थोड़ा, मगरमच्छ, माठलियाँ आदि जीव पाये जाते हैं। भूमध्यरेखीय वर्षा वनों में अनेका जहरीले जीव जैसे मक्ख्यिों, मच्छर, सांप आदि पाये जाते हैं।

3. मानव प्रतिक्रिया

भूमध्य रेखीय प्रदेश अस्वास्थ्यकर उष्णताई जलवायु, अति सघन वनों से आच्छादित हीने, जहरीले जीवों की अधिकता आदि के कारण आर्थिक विकास की दृष्टि से विश्व के सर्वाधिक पिछड़े क्षेत्र हैं। बनाच्छादित इन प्रदेशों में जनसंख्या का निवास बहुत कम है। जनसंख्या बनों के सीमांत भागों, नदियों तथा समुद्र तटीय भागों तथा द्वीपों पर संकेन्द्रित है। मलेशिया और पूर्वी द्वीप समूह में इण्डोनेशिया तथा फिलीपीन्स अधिक यने बसे हुए तथा अपेक्षाकृत् विकसित देश हैं। स्थायी कृषि भूमि के अभाव तया बन भूमियों की अधिकता से भूमध्य रेखीय प्रदेशों में अधिकांशतः स्थानांतरणशील कृषि (shifting agriculture) और बागाली कृषि (plantation agriculture) का प्रचलन अधिक है। चावल, मक्का, रात्रा, गरम मसाले, चाय, कहवा, कोको, सिनकोना, अनवास रखड़, ताड़, नारियल आदि इन प्रदेशों की प्रमुख कृषि उपजें है। बागाती कृषि के अंतर्गत रबड़, चाय, कहवा, नारियल, गरम मसालों आदि की कृषि की जाती है।

घने बनों तथा दलदली भूमि के कारण भूमध्य रेखीय प्रदेश के देशों में स्थलीय यातायात (रेल, सड़क) का विकास अत्यंत सीमित है। अनेक स्थानों पर नदियां ही भार्ग प्रसस्त करती है। दक्षिण-पूर्व एशिया में मलेशिया तथा इण्डोनेशिया में सड़कों तथा रेलमार्गों का विकास अन्य भागों की तुलना में अधिक हुआ है। भूमध्य रेखीय प्रदेशों से रवड़, चाय, कहवा, गरम मसालों, नारियल के तेल एवं गिरियों, हाथी दांत, चीनी, टिन आदि का निर्यात अन्य प्रदेशों को किया जाता है।

भूमध्य रेखीय जन प्रदेशों के विभित्र भागों में कई प्रकार की आदिम जातियां निवास करती हैं जो बिल्कुल असभ्य है और जंगली जीवन व्यतीत करती है। अफ्रीका के कांगो बेसिन में पिग्मी, दक्षिण अमेरिका के अमेजन बेसिन से बोरा एवं रेड इण्डियन, मलाया एवं बाईलैण्ड में सेमांग तथा सकाई नामक आदिम जातियाँ पायी आती हैं। पिग्मी नीत्रिटो प्रजाति से सम्बंधित हैं जिनका कद अत्यंत छोटा (132 सेमी, या 52 इंच) होता है जिसके कारण इन्हें बौना भी कहते हैं। ये काले रंग के लोग पेड़ों पर रहते हैं और जंगली पशु-पक्षियों के शिकार तथा वृक्षों के फल, फूल, पत्रों, कन्दमूली आदि से भोजन प्राप्त करते हैं।

सेमांग और सकाई जातियाँ भी नीजिटो प्रजाति से सम्बंधित हैं और मलाया तथा बाईलैण्ड के जंगलों में रहती है। वनों से कन्दमूल, फल आदि एकव काने के साथ ही ये लोग जलाशयों से मछलियाँ पकड़ने तथा छोटे पशुओं जैसे सुअर, बन्दर, चूहों, गिलहरियों आदि का शिकार भी करते हैं।

दक्षिणी-पूर्वी एशिया में मलाया, इण्डोनेशिया तथा फिलिपीन्स अधिक सुगम्य स्थिति तथा प्राचीन एवं आधुनिक संस्कृतियों से प्रभावित होने के परिणामस्वरूप अन्य भूमध्यरेखीय प्रदेशों की तुलना में अधिक विकसित हैं। इण्डोनेशिया का जाचा द्वीप सर्वाधिक विकसित और सघन बसा हुआ द्वीप है। यहाँ व्यापारिक बागाती तथा सामान्य कृषि, टिन आदि खनिज सम्पदा के विदोहन तथा पेट्रोलियम के भण्डार मिलने से आर्थिक विकास की गति और समृद्धि में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। सिंगापुर, जकार्ता, कुआलालम्पुर,मनीला, विन्डनाओ, सुराबामा आदि पूर्वी द्वीप समूह के महत्वपूर्ण नगर हैं। अफ्रीका में नाइजीरिया के दक्षिणी मसूरी में भी आर्थिक विकास के अनुरूप जनसंख्या का बसाब अपेक्षाकृत्, अधिक है। यहाँ पूर्वी द्वीप समूह की भाँति नगरीकरण भी अपेक्षाकृत् अधिक हुआ है!

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