प्रेयरी तुल्य प्रदेश/शीतोष्ण कटिबंधीय घास
स्थिति एवं विस्तार (Prairie-type Region)
इस प्रदेश के अंतर्गत शीतोष्ण कटिबंधीय घास प्रदेश सम्मिलित हैं। शीतोष्ण घास प्रदेश का विस्तार उत्तरी तथा दक्षिणी गोलार्दो में 45° से 60° अक्षांशों के मध्य पाया जाता है। इन घास प्रदेशों को उत्तरी अमेरिका में प्रेयरी, यूरेशिया में स्टेपी, दक्षिण अमेरिका में पम्पाज (अर्जन्टीना एवं यूरूग्वे), दक्षिण अफ्रीका में वेल्ड (उच्च पर्वतीय भाग) और आस्ट्रेलिया में डाउन्स (मरे-डार्लिंग बेसिन) के नाम से जाना जाता है। न्यूजीलैण्ड के कैण्टरबरी मैदान में भी शीतोष्ण घास क्षेत्र मिलता है।
उत्तरी अमेरिका में प्रेयरी घास क्षेत्र का विकास संयुक्त राज्य और कनाडा में पश्चिम में राकी पर्वत और पूर्व में शीतोष्ण पर्णपाती वनों के मध्य विस्तृत क्षेत्रों में हुआ है। यूरेशिया में स्टेपी घास क्षेत्र पूर्वी यूरोप से पश्चिमी साइबेरिया तक विस्तृत है। दक्षिण अमेरिका में पम्पाज का विस्तार अर्जन्टीना तथा युरूग्वे में है। दक्षिण अफ्रीका में वेल्ड का विस्तार दक्षिणी ट्रांसवाल तथा समीपवर्ती उच्च भूमि पर है। आस्ट्रेलिया में मरे-डार्लिंग बेसिन में डाउन्स घास क्षेत्र का विस्तार है।
प्राकृतिक दशाएँ
उत्तरी गोलार्द्ध के शीतोष्ण घास मैदानों में महाद्वीपीय जलवायु की प्रधानता पायी जाती है किन्तु दक्षिणी गोलार्द्ध के घास क्षेत्रों की जलवायु पर महाद्वीपीयता का प्रभाव कम होता है। इन मैदानों में ग्रीष्म काल अत्यंत उष्ण (18° से 21° सेल्सियस) तथा शुष्क रहता है और शीतकाल में तापमान हिमांक से नीचे (-10° सेल्सियस तक) चले जाने के कारण धरातल हिमाच्छादित हो जाता है। शीतोष्ण घास प्रदेशों में औसत वार्षिक वर्षा 50 सेमी. पायी जाती है किन्तु कतिपय अधिक आर्द्र भागों में 75 सेमी. तक वर्षा हो जाती है। कुछ वर्षा हिमपात के रूप में भी प्राप्त होती है। बसंत काल में साधारण वर्षा होती है और बर्फ पिघल जाने से भूमि आई हो जाती है। बसंत ऋतु में बर्फ के पिघलने तथा वर्षा होने से धरातल पर हरी घासें उग जाती हैं और वह अनेक प्रकार के फूलों से परिपूर्ण हो जाता है। ग्रीष्म काल के आरंभिक समय तक जब तक वर्षा होती रहती है घासें हरी रहती हैं किन्तु तापमान के अधिक ऊंचा हो जाने पर घासे झुलस जाती हैं और सम्पूर्ण क्षेत्र भूरा दिखाई पड़ता है। शीतकाल में घास के मैदान बर्फ से ढके रहते हैं।
इन घास के मैदानों में घास खाने वाले पशु पाये जाते हैं जो तेज गति से दौड़ सकते हैं। इन क्षेत्रों में हिरन, शुतुमुर्ग, घोड़े, खच्चर, नीलगाय आदि शाकाहारी पशु तथा उन पर निर्भर हिंसक पशु पाये जाते हैं। मांसाहारी पशुओं में लोमड़ी, भेड़िया, चीता, शेर, हाइना, लकड़बग्घा आदि सम्मिलित हैं।
मानव प्रतिक्रिया
शीतोष्ण घास के मैदानों की घासें छोटी तथा कोमल होती हैं जो पशुओं को चरने के लिए सुगम तथा पौष्टिक होती हैं। अतः ये प्रदेश पशुचारण के लिए अत्यंत उपयुक्त हैं। कम वर्षा तथा अर्द्ध शुष्क जलवायु के कारण इस भागों में विकसित छोटी घासों के नीचे चरनोजम नामक काली मिट्टी पायी जाती है जिसमें जीवांश की मात्रा अधिक पायी जाती है जिससे यह मिट्टी उपजाऊ है। शीतोष्ण घास के मैदानों का धरातल समतल है जिस पर बड़े-बड़े कृषि फार्म बनाने तथा आधुनिक कृषि यंत्रों के प्रयोग करने की सुविधा है। इन भागों में जनसंख्या का घनत्व 5 से 60 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी. है। जनसंख्या कम होने के कारण मानवश्रम का अभाव है। इन घास क्षेत्रों की भूमि अन्न विशेष रूप से गेहूँ के उत्पादन के है। ये घास क्षेत्र विकसित देशों में स्थित हैं जहाँ कृषि और पशुपालन व्यापारिक स्तर पर किया बा है। अतः प्रेयरी प्रदेश के घास क्षेत्रों में घासों को साफ करके बड़े-बड़े कृषि फार्म बनाये गये हैं और पर व्यापारिक अन्न उत्पादक कृषि की जाती है। कृषि में उन्नतशील बीजों, तकनीकों, आधुनिक कृषि का खूब प्रयोग होता है किन्तु फसल पूर्णतः वर्षा पर निर्भर होती है। स्थानीय खपत कम होने के कारण नादित खाद्यान्नों का लगभग सम्पूर्ण भाग निर्यात कर दिया जाता है जिससे मौद्रिक आय प्राप्त होती है। प्रकार बड़े-बड़े कृषि फार्म, पूर्ण यंत्रीकृत कृषि, गेहूँ की प्रमुखता, विस्तृत कृषि पद्धति आदि शीतोष्ण स के मैदानों में की जाने वाली व्यापारिक अन्न उत्पादक कृषि की प्रमुख विशेषताएँ हैं।
दक्षिणी-पूर्वी आस्ट्रेलिया (मरे-डार्लिंग बेसिन) और न्यूजीलैण्ड के उत्तरी द्वीप पर दुग्ध पशुपालन धिक विकसित है। इन क्षेत्रों में दूध के लिए उत्तम नस्ल की गायें पाली जाती हैं। इन प्रदेशों से मक्खन, नीर, घी आदि दुग्ध उत्पाद उत्तरी अमेरिका तथा यूरोप कोनिर्यात किये जाते हैं।